हमारे शास्त्रों में दस पापकर्म बताये गये है
हमारे शास्त्रों में दस पापकर्म बताये गये है
हिंसा (जीव-जन्तुओं
को मारना)
स्तेय (चोरी करना)
अन्यथा काम (व्यर्थ का कार्य जिसका कोई फल नहीं हो)
पैशुन्या (चुगली करना
)
परूष (कठोर वचन बोलना)
अनृत (झूठ बोलना )
सभिन्नालाप - ऐसा बोलना जिससे दो मित्रो मे झगडा हो
व्यापाद (मारना पिटना)
अभिध्या - दूसरे की
सम्पत्ति छीन लेना
दृग्विपर्यय (विपरीत समझ माता पिता भाई-बहन को उल्टा समझना)
Thanks
Open Hands